भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
या मोहन के रूप लुभानी / मीराबाई
Kavita Kosh से
राग गूजरी
या मोहन के रूप लुभानी।
सुंदर बदन कमलदल लोचन, बांकी चितवन मंद मुसकानी॥
जमना के नीरे तीरे धेनु चरावै, बंसी में गावै मीठी बानी।
तन मन धन गिरधर पर बारूं, चरणकंवल मीरा लपटानी॥
शब्दार्थ :- दल =पंखुड़ी। बांकी =टेढ़ी। नीरे =निकट।