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युगांत / सुमित्रानंदन पंत
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युगांत
रचनाकार | सुमित्रानंदन पंत |
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प्रकाशक | लोकभारती प्रकाशन |
वर्ष | २००० |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 67 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र / सुमित्रानंदन पंत
- गा कोकिल, बरसा पावक कण / सुमित्रानंदन पंत
- झर पड़ता जीवन डाली से / सुमित्रानंदन पंत
- चंचल पग दीप-शिखा-से / सुमित्रानंदन पंत
- विद्रुम औ मरकत की छाया / सुमित्रानंदन पंत
- जगती के जन पथ, कानन में / सुमित्रानंदन पंत
- वे चहक रहीं कुंजों में / सुमित्रानंदन पंत
- वे डूब गए / सुमित्रानंदन पंत
- तारों का नभ / सुमित्रानंदन पंत
- जीवन का फल / सुमित्रानंदन पंत
- बढ़ो अभय, विश्वास-चरण धर / सुमित्रानंदन पंत
- गर्जन कर मानव-केशरि! / सुमित्रानंदन पंत
- बाँसों का झुरमुट / सुमित्रानंदन पंत
- जग-जीवन में जो चिर महान / सुमित्रानंदन पंत
- जो दीन-हीन, पीड़ित / सुमित्रानंदन पंत
- शत बाहु-पद / सुमित्रानंदन पंत
- ए मिट्टी के ढेले / सुमित्रानंदन पंत
- खो गई स्वर्ग की स्वर्ण किरण / सुमित्रानंदन पंत
- सुन्दरता का आलोक / सुमित्रानंदन पंत
- नव हे, नव हे / सुमित्रानंदन पंत
- बाँधो, छबि के नव बन्धन / सुमित्रानंदन पंत
- मंजरित आम्र वन छाया में / सुमित्रानंदन पंत
- वह विजन चाँदनी की घाटी / सुमित्रानंदन पंत
- वह लेटी है तरु छाया में / सुमित्रानंदन पंत