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युग / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
हारे हुए उसे तो
बीत गया
युग एक,
तुमको किन्तु यही ले
पार्थ कुरु में
अभी लड़े
कहते रहे कृष्ण उन्हें था
कहना जो,
दिखते रहे मगर पार्थ को
केवल पितामह,
केवल
पितामह,
और पितामह की गोदी
बैठे सारे पाँडु भ्रात,
हाथों की चुटकी पकड़े वे
भोजन के छोटे ग्रास!
रख दिया गाँडीव तभी था
पाँव न तब से
कभी उठे-
तुमको किन्तु
यही लगे
पार्थ कुरु में
अभी लड़े।