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युद्ध की तस्वीर / शंकरानंद
Kavita Kosh से
जहाँ युद्ध चल रहा है
अभी वहाँ शान्ति नहीं
वह अपनी जान बचा रही फ़िलहाल
किसी खोह या गुफ़ा में छिपकर
युद्ध चल रहा है और
युद्ध की तस्वीरें सामने आ रही हैं
उन तस्वीरों में जले हुए मकान तो
दिखाई देते हैं
मगर जले हुए स्वप्न और लालसा की राख
कहीं नज़र नहीं आती
जो दिखता है वह तो सिर्फ़
सतह की राख है
न जाने कितने बीज
न जाने कितने स्वप्न
न जाने कितनी लालसा
राख होती है युद्ध के बीच
युद्ध की तस्वीर खींचने वाला
इसकी तस्वीर नहीं ले पाता
राख हुए भविष्य की तस्वीर
कोई नहीं ले सकता ।