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युवा लेल संकल्प / नारायण झा
Kavita Kosh से
जँ अछि भुजा मे ताकत
क्रांतिक बीया रक्त-कण मे
मनुज ओ जे मनुजत्व सँ
खलबली अन्तर्मन मे।
संगोर केने सभ गुण केँ
तकरा के डिगा सकत
जे संकल्प लेल जीवनक लेल
कोन बिपत्ति आगू आबि सकत।
आगू अमृत की गरल सदृश
भाल नहि झुका सकत
जे अडिग रहत निज पथ पर
ओ दूभि मे सुमन फूला सकत।
अनवरत पथिक जकाँ बढ़ैत
चढ़ि क' हिमालय रहत
पथभ्रष्ट नहि होयत प्राण संकटो
चढ़ि हिम्मत देखा छोड़त।
बाट कतबो रहय काँट
बीछि आगू बढ़ैत रही
रक्तक कण-कणक शपथ
खा गजक मस्तक पर चढ़ैत रही।
मृत्यु देखाय पाँजर मे
निर्भय बनल अड़ल रही
गीत जुआनीक गाबि
भरि जगक जन केँ जगबैत रही।