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यूँ अँधेरों में चलोगे तो सिहर जाओगे / रंजना वर्मा

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यूँ अँधेरों में चलोगे तो सिहर जाओगे
छोड़ जाओगे जो हमको तो किधर जाओगे

रोज़ मिलते जो रहे ख़्वाब की इस वादी में
यूँ ही आहिस्ता मेरे दिल में उतर जाओगे

वक्त करवट है बदल लेता अचानक जैसे
हाथ छोड़ोगे तो तिनकों से बिखर जाओगे

लोग आते हैं चले जाते हैं राही बन के
मैं जो कह दूँ तो क्या कुछ देर ठहर जाओगे

मैं भरोसा तेरे वादे पर करूँ तो कैसे
छोड़ कर गाँव किसी दिन तो शहर जाओगे

लाख कोशिश मैं करूँ रोक न पाऊँ तुमको
पर बिता के यहाँ दो चार पहर जाओगे

बात दिल की जो सुनोगे तो रुकोगे वरना
यूँ ही चुपचाप मेरे दर से गुज़र जाओगे