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यूँ अभी से न फेरो नज़र ज़िंदगी / नफ़ीस परवेज़
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यूँ अभी से न फेरो नज़र ज़िंदगी
है अभी और बाक़ी सफ़र ज़िंदगी
हैं अभी ख़्वाब आँखों में कितने मेरे
जानता हूँ तुम्हें है ख़बर ज़िंदगी
भीड़ के साथ चलना ज़रूरत तो थी
हमको आया नहीं यह हुनर ज़िंदगी
वो न आयेंगे वापस पता था मगर
दिल रहा मुंतज़िर उम्र भर ज़िंदगी
दिल से दिल का भी रिश्ता न क़ायम हुआ
यूँ हुई तो हुई क्या बसर ज़िंदगी
आरज़ू है कोई याद हमको करे
कुछ तो कर दे तू ऐसा असर ज़िन्दगी