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यूँ तो नहीं / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
तपती रेत पर
हम दोनों
चल रहे थे
एक-दूसरे का हाथ थामे
लेकिन पाँव
दोनों के जल रहे थे
इसलिए मैंने
तुम्हारे पाँव के नीचे
पथ पर अपना आँचल
बिछाया था
और तुमने
मेरे पथ पर
अपनी हथेली
रख दी थी ।