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यूँ ही उदास है दिल बेकरार थोड़े ही है / जतिन्दर परवाज़
Kavita Kosh से
यूँ ही उदास है दिल बेकरार थोड़े ही है
मुझे किसी का कोई इंतज़ार थोड़े ही है
नजर मिला के भी तुम से गिला करूँ कैसे
तुम्हारे दिल पे मेरा इख़्तियार थोड़े ही है
मुझे भी नींद न आए उसे भी चैन न हो
हमारे बीच भला इतना प्यार थोड़े ही है
ख़िज़ा ही ढूंढ़ती रहती है दर-ब-दर मुझको
मेरी तलाश मैं पागल बहार थोड़े ही है
न जाने कौन यहाँ साँप बन के डस जाए
यहाँ किसी का कोई ऐतबार थोड़े ही है