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यूँ ही रात भर कोई बात कर / ऋषिपाल धीमान ऋषि
Kavita Kosh से
यूँ ही रात भर कोई बात कर
मेरे हम सफ़र कोई बात कर।
मेरी आंखों में ज़रा प्यार से
कभी झांक कर कोई बात कर।
मेरे दिल की राह से हमनवा
कभी तो गुज़र कोई बात कर।
मेरे यार चुप है तू शाम से
हुई अब सहर कोई बात कर।
मेरा दिल बहुत ही उदास है
ज़रा चहक कर कोई बात कर।
मेरे हाल से मेरे प्यार से
न हो बेख़बर कोई बात कर।
तुन्हें कब का मैंने किया मुआफ़
न चुरा नज़र कोई बात कर।
जो हुई थी पहले मिलन के वक़्त
उसी बात पर कोई बात कर।
वो बुरा सही कि भला सही
'ऋषि' की मगर कोई बात कर।