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यूँ ही / राजेश शर्मा ‘बेक़दरा’

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क्या सोचते हो?
यूँही ख़त्म हो जायेगा?
सूर्य का ओज
चन्द्रमा की चांदनी
धरती की प्यास
समुन्दर का जल
और मेरा प्रेम