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यूं तो मुश्किल थी ये दुनिया / विकास जोशी
Kavita Kosh से
कभी आ के चुपके से सौगात रख दे
धड़कते हुए दिल पे तू हाथ रख दे
सफ़र काट लूंगा मैं इस ज़िन्दगी का
ज़रा सी मुहब्बत मेरे साथ रख दे
थकन ओढ़ ली उम्र भर की है मैंने
कोई आ के आँखों में अब रात रख दे
मैं पत्थर सा होने लगा पत्थरों में
मेरे दिल में तू चंद जज़्बात रख दे
यूं लगने लगेगा सफ़र मुझको आसां
ज़रा दूर तक हाथ में हाथ रख दे
शजर जिस्म का तू सुलगने से पहले
मेरी खुश्क आँखों में बरसात रख दे
समझ आएगा फलसफा ज़िन्दगी का
कहानी में तू मेरे हालात रख दे
भटकने लगूं मैं जो राहे खुदा से
ज़ेहन में मुक़द्दस ख़यालात रख दे