भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यूकेलिप्टिस/रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
वृक्षों में तुम सबसे ऊँचे
कहते हैं ये भोले लोग|
गहराई में जड़े तुम्हारी
छिपी हुई जो
औरों के हिस्से का पानी
चपके-चुपके पी जाती हैं
नहीं जानते भोले लोग ?