यूरोप में साइकिल / पुष्पिता
यूरोप को
चलाते हैं युवा
समय का पहिया
दौड़ता है यूरोप में
बहुत तेज
पहिये के ऊपर हैं जो वे आगे
और बढ़े हुए।
गर्भस्थ शिशु
अपना आकार लेता है
साइकिल चलाती
अपनी माँ की देह-भीतर
गर्भ में रहते हुए ही
जैसे जान लेता है
साइकिल जीने का सुख।
स्ट्रेचर के पहिये से
पहुँचता है
ऑपरेशन थियेटर में
पहिये पर
आता है
आँखें मींचे
मुट्ठी भींचे
समय के पहिये पर
धड़कनें और साँसें
दौड़ने लगती हैं उसकी
अकेले ही
चाहे वह माँ की छाती से लगा हो
या अपने बास्केट-बेड में
ऊँघता हो
चिहुँकता हो।
पहिये से ही सीखता है
धरती पकड़ना
और दौड़ना
माँ के साथ
चार पहिये के बेबी-स्ट्रोलर पर बैठ
घूम लेता है अपना देश।
उसकी आँखों की मुट्ठी
खुलने लगती है
अपनी हथेलियों के भीतर
जहाँ से वह
एक साथ पकड़ना सीखता है
माँ की हथेली
और मातृभूमि का प्यार।
बच्चे अपने पाँव से
पकड़ लेते हैं साइकिल का पाइडल
और दो पहियों में दौड़ते हैं स्वयं सड़क पर
ट्रैफिक को रास्ता देने के लिए
पीछे एक लंबी डंडी में रंगीन झंडी लगाए
हाँकते हैं समय
एक नए समय की रचना में।
साइकिल के पहियों में
जैसे भरी है हवा
माँ के फेफड़ों से
स्वप्निल हवा उतरती है
पहिये के ट्यूब में
पाँव की तरह
पाँव बनी हुई दौड़ती है बच्चों की साइकिल
बच्चों के जीवन में उनकी ही देह का हिस्सा
सड़क के बगलगीर बनी लाल सड़क पर।
मशीनी युग में
मशीन बनकर
साइकिल के हैंडिल पर
हाथ रखकर
जैसे वह
दुनिया पर रखता है अपना हाथ
उसे अपनी मुट्ठी में करने के लिए।
साइकिल के पहियों पर
कभी आगे, कभी पीछे
कभी साइकिल बास्केट
कभी कैरियर सीट में पीछे
माँएँ
बड़े करती हैं अपने बच्चे
और सिखा देती हैं सड़क पर दौड़ना
बसों, ट्रेन और ट्राम में पहुँचना।
साइकिल के हैंडिल से
उनका हाथ आ जाता है कार की स्टेयरिंग पर
साइकिल के दो पहिये
कार के चार पहियों में बदलकर
बदल देते हैं उनका जीवन-स्तर
और वे चूमने लगते हैं
यूरोप की पाँच सितारी बहुमंज़िलीय इमारतों
के सपने
आकाशी विमानों की उड़ानें
आँखों में भरकर विश्व
विश्व में भर देना चाहते हैं ख़ुद को।