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येसे घर आय भजन कर जग में / संत जूड़ीराम

येसे घर आय भजन कर जग में।
घर छूटे फिर घर न मिलहै तन छूटे पछतैहो मन में।
तन तूमी विस्वास कर खूटा तत्त तार खिचंत या तन में।
बंक नाल की खुली आवजें सुहगं शबद नाम है मन में।
वाणी लखो नाम निरगुण की एक बृम व्यापक सब घट में।
ठाकुरदास मिले गुरु पूरे जूड़ीराम मगन भयो दिल में।