ये अनजान नदी की नावें / धर्मवीर भारती

ये अनजान नदी की नावें
जादू के से पाल
उड़ातीं
आतीं
मन्थर चाल ।

नीलम पर किरणों
की साँझी
एक न डोरी
एक न माँझी,
फिर भी लाद निरन्तर लातीं
सेन्दूर और प्रवाल !

कुछ समीप की
कुछ सुदूर की,
कुछ चन्दन की
कुछ कपूर की,
कुछ में गेरू
कुछ में रेशम
कुछ में केवल जाल ।

ये अनजान नदी की नावें
जादू के से पाल
उड़ातीं
आतीं
मन्थर चाल ।

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