भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ये अपने चाल पड़े हैं / रणवीर सिंह दहिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अजीजन का जब बगावत का दौर था तो बहुत दिलेरी के साथ फौजियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी। एक दिन सोते वक्त अजीजन बाई सपने के अन्दर क्या देखती हैं भलाः

ये अपने चाल पड़े हैं फौजी भारत देश के॥
बगावत पै जमे खड़े हैं फौजी भारत देश के॥
पूछती है झोपड़ी और पूछते हैं खेत भी
अब तक गुलाम पड़े हैं फौजी भारत देश के॥
बिना लड़े कुछ नहीं मिलता यहां यह जानकर
फिरंगी से सही भिड़े हैं फौजी भारत देश के॥
चीखती हैं रुकावटे ठोंकरों की मार से ही
ये होंसले लिए बड़़़े हैं फौजी भारत देश के॥
गुमान है इनकी खून से लतपथ लाशों पर
मोरचे पर खूब अड़े हैं फौजी भारत देश के॥