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ये कहानी बाद में / राकेश कुमार

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जीत कर भी क्यों न जीता, ये कहानी बाद में।
कौन मेरा दर्द पीता, ये कहानी बाद में ।

पूछते तो लोग पर उत्तर कहाँ सुन पा रहे,
 हर घड़ी क्या-क्या न बीता, ये कहानी बाद में।

जिंदगी का रूप ले हर बार आई मौत ही,
झंझटों को कह सुभीता, ये कहानी बाद में।

सब उड़ा कर ले गया तूफान सा बेवक्त ने,
डूब कर भी आज रीता, ये कहानी बाद में।

आँख में आँसू लिए, मुस्का रहा हूँ रात दिन,
पढ़ रहा हूँ नित्य गीता, ये कहानी बाद में।

पूछ मत 'राकेश' जीवन की व्यथा फिर शाम को,
अब सुबह होगी न मीता, ये कहानी बाद में ।