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ये किसका तसव्वुर मुझे शादाब कर गया / आशीष जोग
Kavita Kosh से
ये किसका तसव्वुर मुझे शादाब कर गया,
ख़्वाबों में आ के फिर कोई बेताब कर गया |
पहले तो न देखा कभी ना कोई मरासिम,
ये कौन अजनबी मुझे आदाब कर गया |
मैंने तो न सोचा था कभी ऐसा भी होगा,
ये कौन है जो सच मेरे सब ख्वाब कर गया |
सोचा था के आकर के वो पूछेगा मेरा हाल,
शिकवे शिकायतें वो बे-हिसाब कर गया |
नज़रों ने पूछे नज़रों से क्या क्या नहीं सवाल,
नज़रें मिला के कौन बे-जवाब कर गया |
कुछ लोग छिपे बैठे थे चेहरों की आड़ में,
महफ़िल में कोई सबको बे-नकाब कर गया |