अपमानित सभाओं मंे की जाती हैं
गंदी कुलक्षणी नीच बतायी जाती हैं
फसलों या कभी ठाकुर की हवेली में
दुष्कर्म कर पेड़ों में टांगी जाती हैं
ये किसकी औरतें हैं?
फटे पुराने कपड़ों में
ग़रीबी की जकड़न में
नीचता के बोझ तले
घास फूस छप्पर में
घुट घुट के मरती हैं
ये किसकी औरतें हैं?
ठंडी गर्मी सहती हैं
बरसात में सिकुड़ती हैं
फटे बोरे पन्नी में
तन्हाई को ढकती हे
आखिर ये किसकी औरतें हैं?
घास काटने वाली
फसल उगाने वाली
बोझा ढोने वाली
लकड़ियां जुटाने वाली
पीड़ा आंसू से सिलती हैं
ये किसकी औरतें हैं?
फावड़े चलाने वाली
गंदगी उठाने वाली
झाड़ू लगाने वाली
कपड़े छांटने वाली
अस्मिता के लिए लड़ती हे
ये किसकी औरतें हैं?
पसीने में नहाने वाली
फुटपाथ पे सोने वाली
रूखा सूखा खाने वाली
गंदगी में रहने वाली
पत्थर काटने वाली
ईंटें पत्थर ढोती रहती हैं
ये किसकी औरतें हैं?
जातिय गाली सुनती हैं
बेइज्जत की जाती है
क्या ये सवर्णों की औरतें हैं
अगर ये नहीं तो
बताओ इन हालात में
कौन इन पे सोचते हैं
और कौन ऐसी औरतें हैं?