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ये किसको ख़बर थी कि ये बात होगी / बल्ली सिंह चीमा

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ये किसको ख़बर थी कि ये बात होगी
पकी खेतियों पर भी बरसात होगी

ये सूखे हुए खेत कहते हैं मुझसे
सुना था कि सावन में बरसात होगी
 
ये सावन भी जब सावनों-सा नहीं है
तो फिर कैसे कह दूँ कि बरसात होगी
 
उमड़ते हुए बादलो! ये बताओ
कि रिमझिम की भाषा में कब बात होगी

उसूलों को जीवन में शामिल भी रखना
कभी बेअसूलों से फिर बात होगी

अँधेरे हो तुम तो उजाले हैं हम भी
कभी न कभी तो मुलाक़ात होगी