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ये कुँजे किस देस को जातीं है जाने / सतीश बेदाग़

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ये कूँजें किस देस को जाती हैं जाने
क्यूँ इस देस में यूँ घबराती हैं जाने

घरवालों के आगे बोल नहीं पातीं
क्यूँ ये झूठी क़समें खाती हैं जाने

रंग-बिरंगी हँसियाँ इक दो सालों में
किन गलियों में क़ैद हो जाती हैं जाने

इक पिंजरे में बंद है चिड़ियों का चम्बा
इक दूजी को क्या समझाती है जाने

इक रिफ़्यूजी कैम्प में नन्ही लड़की है
कौन-सी परियाँ उसे सुलाती हैं जाने

कुछ शेरों से हूकें-सी क्यूँ उठती हैं
कौन बिरहनें भीतर गाती हैं जाने