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ये कैसा पंजाब हैं लोग / तेजेन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
पढ़ने से जो समझ न आए
ऐसी बनी किताब हैं लोग
इज्ज़त जिससे नहीं झलकती
अब ऐसा आदाब हैं लोग
दूजे का नुक्सान करे जो
ऐसा बने हिसाब हैं लोग
बालों को बदरंग जो कर दे
ऐसा बने ख़िज़ाब हैं लोग
चढे नशा न कभी भी जिसका
ऐसी बनी शराब हैं लोग
कोई करे न किसी की चिन्ता
ऐसे हुए ख़राब हैं लोग
ढोल बजे और पांव न थिरके
ये कैसा पंजाब हैं लोग?