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ये ख़बर भी छापिएगा आज के अख़बार के / उर्मिलेश

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ये ख़बर भी छापिएगा आज के अख़बार के
रूह भी बिकने लगी है जिस्म के बाज़ार में

देख कर बच्चों के फैशन वो भी नंगा हो गया
ये इज़ाफ़ा भी हुआ इस दौर की रफ़्तार में

आज बस्ती में मचा कोहराम तो उसने कहा
मौत किसके घर हुई पढ़ लेंगे कल अखबार में

अब तो हर त्यौहार का हमको पता चलता है तब
जब पुलिस की गश्त बढ़ती शहर के बाज़ार में

अपनी शादी पे छपाए उसने अंग्रेज़ी में कार्ड
वो जो हिन्दी बोलता था रोज़ के व्यवहार में

वो तड़प.वो चिट्ठियां ,वो याद ,वो बेचैनियाँ
सब पुराने बाट हैं अब प्यार के व्यापार में

मेहमानों ,कुछ न कुछ लेकर ही जाना तुम वहाँ
दावतें अब ढल चुकी हैं पूरे कारोबार में