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ये गीत तेरा / शार्दुला नोगजा
Kavita Kosh से
आज उसने गीत तेरा ये पढ़ा शत बार होगा
मिली होगी इक सहेली नाम जिसका प्यार होगा।
आइने को परे रख तेरी ग़ज़ल में देखा होगा
जुल्फ फिर सँवारी होगी, तीर तिरछा फेंका होगा।
छाप नीले अक्षरों में, अधर रख मुस्काया होगा
घर की गली के पास ही फेंक कर बिखराया होगा।
वहीं कोई रात-रानी सोचे ये चन्दा चितेरा,
तारकों को चुन निशा के गीत में फिर लाया होगा।