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ये गेहूँ की बालियाँ / अनिता मंडा
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ये गेहूँ की बालियाँ
ये बाजरे के सिट्टे
दुआ में उठे हुए
हाथ हैं
धरती माँ के
औलाद भूखी हो तो
माँ की नींद कहाँ आती है।