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ये चाँद ये सितारे क्या कह रहे बताओ / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
ये चाँद ये सितारे क्या कह रहे बताओ।
कोई कहीं मिले तो बढ़कर गले लगाओ।।
साहित्य का यही तो मकसद सदा रहा है।
नादान हम नहीं हैं, कुछ कर ज़रा दिखाओ।।
दुश्मन नहीं जमाना, समझो इसे भुलाकर।
देगें कभी सहारा अपना उसे बनाओ।।
हम देश के सिपाही यह देश है हमारा।
आजाद हम सभी हैं सपने यहाँ सजाओ।।
नापाक पाक को है मुझको सबक सिखाना।
कश्मीर है हमारा उसको मजा चखाओ।।
आगे बढ़ो जवानों हम साथ हैं तुम्हारे।
यह देश है तुम्हारा जौहर ज़रा दिखाओ।।