भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ये जुल्मी नैण बुरे कोए दिन याद करो / हरियाणवी
Kavita Kosh से
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ये जुल्मी नैण बुरे कोए दिन याद करो
एक न्हाणा न्हाण आले दो जणै
न्हा न्हा मस्त हुए कोए दिन याद करो
एक खाणा खाण आले दो जणै
खाए खाए मस्त हुए कोए दिन याद करो
ये जुल्मी नैण बुरे कोए दिन याद करो