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ये जो चिड़िया निढ़ाल बैठी है / भावना

ये जो चिड़िया निढ़ाल बैठी है
लेके किसका ख्याल बैठी है

कौन-सी रूत करीब है आई
धूप पानी उबाल बैठी है

ये सदी बेहिसाब सपनों का
रोग कैसा ये पाल बैठी है

इस पड़ोसन को क्या कहूँ आखिर
कब की खुन्नस निकाल बैठी है

प्यार का रोग क्या लिया उसने
सिर को ओखल में डाल बैठी है

ऐसे डॅंसता है कोई अपना ही
जैसे विषधर को पाल बैठी है