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ये जो ठण्डी हवा के झोंके हैं / महेश कटारे सुगम

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ये जो ठण्डी हवा के झोंके हैं ।
आपकी याद के झरोखे हैं ।।

रंग अच्छे, बुरे नहीं होते,
सारे अपनी नज़र के धोखे हैं ।

देख लेते हैं देखने वाले,
देखने के हज़ार मौक़े हैं ।

बात दिल की ज़ुबाँ पै लाने के,
उनके अन्दाज़ ही अनोखे हैं ।

कुछ न कुछ तो सुगम हुआ उनको,
रात भर नींद में वो चौंके हैं ।

30-01-2015