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ये जो दु:ख दर्द की कहानी है / सुशील साहिल
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ये जो दु:ख दर्द की कहानी है
सब मुहब्बत की मेहरबानी है
एक मुद्दत से सुनते आया हूँ
चार दिन की ही ज़िन्दगानी है
ख़त्म दुनिया अभी नहीं होगी
आज भी कुछ नदी में पानी है
मुझसे तहज़ीब मत अलग कीजे
बाप दादा कि यह निशानी है
सिर्फ इक बात तुमसे है कहनी
तुमसे इक बात बस छुपानी है
फन उठाये खड़ा बुढ़ापा है
आजकल ख़ौफ़ में जवानी है