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ये तसव्वुर मिरे होने की निशानी की तरह / रवि सिन्हा
Kavita Kosh से
ये तसव्वुर<ref>चेतना, ध्यान, कल्पना (consciousness, imagination)</ref> मिरे होने की निशानी की तरह
अक्स इसमें तिरा ठहरे हुए पानी की तरह
बूँद दर बूँद तू यादों में उतर आती है
बर्फ़ में क़ैद है दरिया की रवानी की तरह
दिन रहा बेरहम तो शाम थकावट सी थी
रात गहरी हुई अब दर्दे-निहानी<ref>अन्दरूनी (inner)</ref> की तरह
ग़म ज़माने के तो अपनाये हुए हैं उसने
अपना दुख कह रहा ग़ैरों की कहानी की तरह
ज़िक्र जिसका नहीं तसनीफ़<ref>साहित्यिक कृति (literary composition)</ref> में किरदारों में
कुल फ़साने में वो मौजूद है मा'नी की तरह
शब्दार्थ
<references/>