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ये दिन तै भाई सब मै आवै सै / मेहर सिंह

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वार्ता- अपने पिता द्वारा साधू को दान देने के फैसले को उचित ठहराते हुए सरवर नीर को समझाते हुए कहता है-

मां के जाए बीर विप्त मैं रोया ना करते
ये दिन तै भाई सब मैं आवैं सैं।टेक

या हो सै लाग नेक कै
बैठग्या गुप्त जख्म सेक कै
देख कै ओरां की खीर नीत डुबोया ना करते
दो टूक आज मर पड़कै थ्यावैं सैं।

हम बैठे थे अपणे भ्रम पै
आज पटकी पड़गी म्हारे कर्म पै
धर्म पै दे दी जन्म जागीर, करकै खोया ना करते
वै नर भले कहावैं सैं।

जो रैह बदनामी तै डर कै
कदे ना चालै चाल उभर कै
कर कैं प्यारयां सेती सीर आंख चुराया ना करते
न्यू लोग बेईमान बतावैं सैं।

मेहर सिंह तन पै पड़गी उसी सहली
ज्यान फंदे कै म्हां फह ली
रागनी गावण तै पहली घर के समझा करते एक शरीर कदे छोया ना करते
आज मनै मरया मनावैं सैं।