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ये दिल, दीवाना, दीवाना है ये दिल / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
ये दिल दीवाना दीवाना है ये दिल
दीवाने ने मुझको भी कर डाला दीवाना
मैने उसके शहर को छोड़ा उसकी गली ये दिल को तोड़ा
फिर भी सीने में धड़कता है ये दिल
मैने दिल से उसे निकाला जो ना करना था कर डाला
फिर भी याद उसे ही करता है ये दिल
ये दिल दीवाना ...
दिल की खता भी है क्या मुझको गिला भी है क्या
आशिक़ है ये चोर नहीं है मैं क्या करूं
दिल पे मेरा जोर नहीं है मैं क्या करूं
ये दिल दीवाना ...
दिल कैसा बेपीर है वो एक तस्वीर है
मैं कहता हूँ तोड़ दे कहता है ज़ंजीर है
कोई कच्ची डोर नहीं है मैं क्या करूं
दिल पे मेरा जोर नहीं है मैं क्या करूं
ये दिल दीवाना ...