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ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है / सलीम रज़ा रीवा
Kavita Kosh से
ये दुनिया खूबसूरत है ज़माना खुबसूरत है
मुहब्बत की नज़र से देखने की बस जरुरत है
वो मेरे बिन तड़पते हैं मैं उनके बिन तड़पता हूँ
यही तो उनकी चाहत है यही मेरी मुहब्बत है
मोहब्बत की नज़र से आप ने देखा सरे महफ़िल
करम है मेहरबानी आप की चश्में इनायत है
मुहब्बत से ही दुनिया के हर इक दस्तूर निभते हैं
हर इक रिश्ता हर इक नाता मुहब्बत की बदौलत है
कभी कलिओं का मुस्काना कभी फूलों का मुरझाना
ये कुदरत के तकाज़े हैं यही गुलशन की किस्मत है
वो मालिक है दो आलम का वो जो चाहे अता कर दे
उसी के हाँथ इज्ज़त है उसी के नाम शोहरत है
सभी से प्यार से मिलने की आदत है "रज़ा" हमको
यही इंसानियत है और यही अनमोल दौलत है