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ये नादान / दीपक मशाल
Kavita Kosh से
तुमने जो इत्र लाके दिया था
उसकी महक फीकी नहीं हुई अभी
जो अंगूठी दी थी
उसकी भी चमक वैसी ही है
जैसी पहले दिन थी..
और तुम्हारी पहनाई पायलों में भी
वही झनक बरक़रार है..
तुम्हारे साथ पिछले बरस
चूड़ी बाज़ार से जो टिकुली वाली रोली ली थी
वो भी अपनी लाली संग जस की तस है..
हाय ये नादान तलाक का मानी क्यों नहीं समझते???