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ये नीची निगाहें उठा कर तो देखो / ईश्वरदत्त अंजुम

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ये नीची निगाहें उठा कर तो देखो
कभी ज़ेरे-लब मुस्कुरा कर तो देखो

बहुत ख़ूबसूरत है ये सारी दुनिया
मज़ा इस का इक दिन उठा कर तो देखो

उजाले की किरणें तो फैलेंगी हर सू
कभी रुख़ से पर्दा हटा कर तो देखो

सितारों को कदमों में रख देंगे लाकर
कभी हम को अपना बना कर तो देखो

वफ़ा की कसौटी पे उतरेंगे पूरे
हमें भी कभी आज़मा कर तो देखो

पिघल जाये दिल उसका शायद किसी दिन
कभी हाल उसको सुना कर तो देखो

महक उठेगा दिल महब्बत से अंजुम
महब्बत को दिल में बसा कर तो देखो