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ये नूर उतरेगा आख़िर ग़ुरूर उतरेगा / संजय चतुर्वेद

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ये नूर उतरेगा आख़िर ग़ुरूर उतरेगा
जनाब, उतरेगा बन्दा हुज़ूर उतरेगा

जो चढ़ गया है वो ऊपर नहीं निकलने का
उतर ही जाएगी फिर वो ज़ुरूर उतरेगा

ज़मीन सोख़्ता-सामां है ख़ाक कर देगी
नशा गुमान तकब्बुर सुरूर उतरेगा

वजूद पञ्चमहाभूत में उतर लेगा
हुनर उलूम अदा का उबूर उतरेगा

ख़ला में ताहिर-ए-दरमादा बोलता होगा
जहां सवाब रुकेंगे क़ुसूर उतरेगा ।

2014