भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ये भी गो उसकी कहानी है मियाँ / कांतिमोहन 'सोज़'
Kavita Kosh से
ये भी गो उसकी कहानी है मियाँ ।
अब मगर अपनी ज़बानी है मियाँ ।।
मैं अभी ज़िन्दा हूँ मुर्दे की तरह
डाक्टरों की मिह्र्बानी है मियाँ ।
हम न जाएँगे न जाएँगे वहाँ
अपने दिल में हमने ठानी है मियाँ ।
वो बदल डालेंगे अब अपना चलन
ये क़सम भी हमको खानी है मियाँ ।
खूं-पसीने की बहुत बातें हुईं
शायरी है या किसानी है मियाँ ।
धूप ढल जाती है जल्दी दून में
क्या ये मुफ़लिस की जवानी है मियाँ ।
सोज़ क्यूँ डरता है आखिर मौत से
ज़िन्दगी तो आनी-जानी है मियाँ ।।