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ये भी गो उसकी कहानी है मियाँ / कांतिमोहन 'सोज़'

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ये भी गो उसकी कहानी है मियाँ ।
अब मगर अपनी ज़बानी है मियाँ ।।

मैं अभी ज़िन्दा हूँ मुर्दे की तरह
डाक्टरों की मिह्र्बानी है मियाँ ।

हम न जाएँगे न जाएँगे वहाँ
अपने दिल में हमने ठानी है मियाँ ।

वो बदल डालेंगे अब अपना चलन
ये क़सम भी हमको खानी है मियाँ ।

खूं-पसीने की बहुत बातें हुईं
शायरी है या किसानी है मियाँ ।

धूप ढल जाती है जल्दी दून में
क्या ये मुफ़लिस की जवानी है मियाँ ।

सोज़ क्यूँ डरता है आखिर मौत से
ज़िन्दगी तो आनी-जानी है मियाँ ।।