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ये मेरी ग़ज़ल का मिज़ाज है कभी आग है कभी फूल है / अजय सहाब

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ये मेरी ग़ज़ल का मिज़ाज है कभी आग है कभी फूल है
कभी क़हक़हों का है क़ाफ़िला ,कभी आंसुओं से मलूल है

जो दे प्यार तू उसे प्यार दे ,जो दे दर्द उसको मुआफ़ कर
यही ज़िन्दगी का है क़ायदा ,यही दोस्ती का उसूल है

यहाँ सब है तेरा दिया हुआ ,मेरा जाम भी ,मेरी प्यास भी
तेरे हाथ से जो मिले अगर ,मुझे तिश्नगी भी क़ुबूल है

तू चला गया मुझे छोड़कर ,मुझे भूलने की उमीद में
मुझे भूल पायेगा तू कभी ,तेरा सोचना तेरी भूल है

ये तमददुनों के चिराग़ सा ये वतन मेरा किसी बाग़ सा
जिसे छू के रूह महक उठी मेरे हिन्द वो तेरी धूल है