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ये रिश्ते हैं, व्यापार नहीं / सोनरूपा विशाल

Kavita Kosh से
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क्यों अपनों से मिलता है अपनों जैसा ही प्यार नहीं।
कोई उनको समझाए ये रिश्ते हैं, व्यापार नहीं।

क्या अपनों के बिनकोई उत्सव पूरा हो जाता है?
क्या दुख का दुर्गम रस्ता बिन अपनों के कट पाता है ?
इन प्रश्नों का उत्तर जो 'ना' में करते स्वीकार नहीं।
कोई उनको समझाएये रिश्ते हैं, व्यापार नहीं।

तेरा- मेरा करते-करते उम्र गुज़रती जाएगी
प्रेम भरी किरणों वाली फिर भोर कभी ना आएगी
सूरज के उजियारे से मन का जाता अँधियार नहीं।
कोई उनको समझाए ये रिश्ते हैं, व्यापार नहीं।

जो अपनों के सँग बीते पलयाद बहुत वो आते हैं
मन के अम्बर पर ख़ुशियों के इंद्रधनुष बन जाते हैं
कोई ये पल हमसे ले पाए उसको अधिकार नहीं।
कोई उनको समझाए ये रिश्ते हैं, व्यापार नहीं।