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ये शाम की तनहाइयाँ, ऎसे में तेरा ग़म / शैलेन्द्र
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ये शाम की तन्हाइयाँ ऐसे में तेरा ग़म
पत्ते कहीं खड़के हवा आई तो चौंके हम
ये शाम की तन्हाइयाँ ...
जिस राह से तुम आने को थे
उस के निशाँ भी मिटने लगे
आये न तुम सौ सौ दफ़ा आये गये मौसम
ये शाम की तन्हाइयाँ ...
सीने से लगा तेरी याद को
रोती रही मैं रात को
हालत पे मेरी चाँद तारे रो गये शबनम
ये शाम की तन्हाइयाँ ...