ये सपने : ये प्रेत / रणजीत
मुझे घेर कर खड़े हुए हैं मेरे सपने !
क्षण भर के भी लिए चैन की साँस नहीं लेने देते हैं -
दामन पकड़े अड़े हुए हैं मेरे सपने !
मैं इनसे अभिभूत जुल्म के अंगारों पर चल लेता हूँ
मैं इनसे आविष्ट आँधियों-तूफ़ानों में पल लेता हूँ
प्रेतों से ये मेरे सिर पर चढ़े हुए हैं मेरे सपने !
मुझे घेर खड़े हुए हैं मेरे सपने !!
सपने: जिनको जन्म दिया था मैंने
दुनिया की तीखी नज़रों से छिपा-बचाकर
पाला था
पोसा था
बड़ा किया था
अब मुझसे आकार माँगते:
जीने का, सच बनने का अधिकार माँगते
जैसे किसी गरीबिन माँ के भूखे बच्चे
उसका आंचल खींच खींच कर
मांग रहे हों उससे रोटी -
ऐसे पीछे पड़े हुए है मेरे सपने !
मुझे घेर कर खड़े हैं मेरे सपने !
क्षण भर के भी लिए चैन की साँस नहीं लेने देते हैं -
दामन पकड़े अड़े हुए हैं मेरे सपने !!
कभी कभी मेरा हारा मन
दुनिया के सारे नियमों से समझौता कर
सीधे-सादे ढर्रे से जीवन जीने की
बात सोच लेता है, लेकिन -
ये अवैध जनवादी सपने
संघर्षों के आदी सपने
सब समझौते तुड़वाते हैं
और मुझे हर ज़ोर-जुल्म के
ये सपने: ये प्रेत
बेइन्साफ़ी के खिलाफ़ ये
भुजा उठा कर लड़वाते हैं
- ऐसे पीछे पड़े हुए हैं मेरे सपने !
मुझे घेर कर खड़े हुए हैं मेरे सपने !
क्षण भर के भी लिए चैन की साँस नहीं लेने देते हैं -
दामन पकड़े अड़े हुए हैं मेरे सपने !!