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ये सफ़र बहुत है कठिन मगर / १९४२ ऐ लव स्टोरी
Kavita Kosh से
दिल ना-उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है
लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है
ये सफ़र बहुत है कठिन मगर
ना उदास हो मेरे हमसफ़र
नहीं रहनेवाली ये मुश्किलें
कि हैं अगले मोड़ पे मंज़िलें
मेरी बात का तू यकीन कर, ना उदास ...
ये सितम की रात है ढलने को
है अन्धेरा गम का पिघलने को
ज़रा देर इस में लगे अगर, ना उदास ...
कभी ढूँढ लेगा ये कारवां
वो नई ज़मीन नया आसमां
जिसे ढूँढती है तेरी नजर, ना उदास ...