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ये समय है / ध्रुव शुक्ल
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ये समय है....
बोलने का समय है
खुलेआम
भेद खोलने का समय है
लोग शोर में ज़िन्दगी गुज़ारने लगे हैं
शोर मचाकर चुप रहना सीख जाते हैं
बोलना बेकार हो जाता है
लोग बोलना बन्द करते जा रहे हैं
तभी तो बोलियां मिटती जा रही हैं
गोलियों की आवाज़ बढ़ती जा रही है
ये बेखबर रहकर जीने का नहीं
समझकर बोलने का समय है
ये शैतान से संवाद का समय है
हैवान से जेहाद का समय है
ये किसी के बचने का नहीं
इसीलिए सबको बचाने का समय है
ये समय काम आ जाए तो बहुत अच्छा
न आए तो फिर सबके मिट जाने का समय है