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ये समाँ, समाँ है ये प्यार का / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
ये समाँ
समाँ है ये प्यार का
किसी के इंतज़ार का
दिल ना चुराले कहीं मेरा
मौसम बहार का
ये समाँ...
बसने लगे आँखों में
कुछ ऐसे सपने
कोई बुलाए जैसे
नैनों से अपने
नैनों से अपने
ये समाँ...
मिलके खयालों में ही
अपने बलम से
नींद गंवाँई अपनी
मैंने क़सम से
मैंने क़सम से
ये समाँ...