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ये सेहरा झूठ का तेरे सर रहा है / राम मेश्राम

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ये सेहरा झूठ का तेरे सर रहा है
मेरा सच रफ़्ता-रफ़्ता मर रहा है

ये सच, सच से परे का सच नहीं है
ये दम कानून हरदम भर रहा है

अगर वह आइने का बाप है तो
पुराने पाप से क्यों डर रहा है?

मुझे आगाह करती है हुकूमत
अरे, मुँहजोर, यह क्या कर रहा है?

है नगमा एक भुतहे खण्डहर का
कभी यह रौशनी का घर रहा है

सफ़ाई पेश करती है सचाई
ज़माना आज भी शक कर रहा है

निहायत अजनबी लगता है घर में
ये दिल बरसों-बरस बाहर रहा है