ये सोचा नहीं मैं तो ख़ुद मसअला हूँ
ज़माने की उलझन मिटाने चला हूँ  
पराया सा लगता है तू साथ रहकर 
तो इस साथ से मैं अकेला भला हूँ 
रखें याद ये चाँदनी के पुजारी 
अमावस में मैं ही दिये सा जला हूँ 
ये आँसू, ये क्रंदन, ये बेचैनियाँ सब 
तुम्हीं ने दिए थे,  तुम्हें दे चला हूँ 
जो सिमटूँ तो बन जाऊँ दिल का सुकूँ मैं
जो बिखरूँ तो तूफ़ान हूँ, ज़लज़ला हूँ 
कहीं हूँ सहारा मैं टूटे दिलों का 
कहीं मैं  ही बलहीन का हौसला हूँ
हूँ 'आलोक' सच्चा खरा आदमी मैं 
इसी वास्ते साहिबों को खला हूँ