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ये हरसिंगार के पहले-पहले फूल / ओम निश्चल
Kavita Kosh से
ये हरसिंगार के पहले-पहले फूल
तुम्हारे नाम ।
ये मौसम के ख़त
पहली-पहली भूल तुम्हारे नाम ।
यह उजास-सा
खिलता-खिलता मन
पत्तों पर ठहरी
ओस-अश्रु उन्मन
खिड़की पर ठहरे हुए
प्रतीक्षा-पल
ये धूप-दीप-नैवेद्य
तुम्हारे नाम ।
स्नेहिल पल सजल
अभेद्य तुम्हारे नाम ।
ये कली अधखिली
कल फिर फूलेगी
मन की वसुधा में
नव रस घोलेगी
कविताओं से
यह भीगा हारिल हिय
यह चित्ताकर्षक दृष्टि
तुम्हारे नाम ।
कुदरत की पहली सृष्टि
तुम्हारे नाम ।
लो, हवा बह रही
पुरवा अलबेली-सी
फूलों से तितली करती
अठखेली-सी
यह मन्द मन्द-सा
बहता मलयानिल
यह भुवन अखिल
अभिराम तुम्हारे नाम ।
ये पारिजात अभिजात
तुम्हारे नाम ।