भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यो तो गऊँ रे चणा को उबटणो / मालवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

यो तो गऊँ रे चणा को उबटणो
माय चमेली नौ तैल
गोरो लाड़ो लाड़ी बैठ्या उबटणे